पूर्व मुखी घर के लिए वास्तु
पूर्व दिशा वास्तु के नियम से घर बनाने के लिए बहुत शुभ मानी जाती है पूर्व दिशा की महानता का सबसे बड़ा कारण यह भी है की इसी दिशा से हमें जीवन देने वाले सूर्य का उदय होता है सूर्य हमारे सौर मंडल के केंद्र में स्थित है और अन्य सभी गृह सूर्य की परिक्रमा करते है यह हमारे जीवन में ऊर्जा का प्राथमिक स्त्रोत है इसमें हमें सृजनशीलता और प्राणशक्ति भी प्राप्त होती है | अतः सूर्योदय की दिशा के रूप में पहचाने जाने वाली पूर्व दिशा का महत्व और बढ़ जाता है इसी कारण घर के विकल्प के रूप में लोग अक्सर पूर्वमुखी घर को ही अधिक प्रत्मिक्ता देते है |
वास्तु के अनुसार पूर्व दिशा का महत्व
प्रत्येक नए दिन का आंरभ सूर्योदय के साथ होता है और इसलिए पूर्व को नविन प्रारभो की दिशा के रूप में जाना जाता है | जिस प्रकार से उत्तर दिशा महिलाओ के लिए महत्व पूर्ण होती है उसी प्रकार से पूर्व दिशा पुरुषो के लिए और संतान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है | पूर्व के सकारात्मक और नकारात्मक निर्माण का प्रभाव सबसे अधिक घर के पुरुष सदस्य पर पड़ता है |
यह दिशा मान सामान प्रदान करने वाली होती है | और सफलता एव विजय प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण दिशा है सरकारी कर्मचारी या सरकार के लिए काम करने वाले लोगो के लिए यह दिशा बहुत अधिक शुभ होती है और इन लोगो के लिए पूर्व मुखी घर बहुत अच्छा होता है |
हलाकि धयान देने वाली बात यह है की पूर्व मुखी भूखंड शुभ तो होते ही है परन्तु बहुत से लोग सिर्फ इसी बात से निश्चित होकर घर को वास्तु के नियमो का पालन नहीं करते और लापरवह होते है फिर उनका भूखंड पूर्वमुखी होकर भी अशुभ फल देता है और कई बार यह लफरवाही उस घर के निवासियों को नुकसान पहुँचती ही है |
वास्तविकता में उत्तर मुखी और पूर्वमुखी भूखंड शुभ होने पर भी पूर्ण रूप से शुभ परिणाम नहीं देते है | पूर्ण रूप से सुबह परिणम तब देते है जब वास्तु के हिसाब से घर बना हो इसके लिए आपको मुख्या द्वार की स्थिति से लेकर घर के बैडरूम के निर्माण किचन स्थान बाथरूम नर्मित करने की दिशा सीढिया बनाने की जगह सहित कई अन्य जगह का ध्यान रखा जाता है | तो आ इये जानते है की पूर्व मुखी घर के लिए वास्तु कैसा हो |
वास्तु के अनुसार पूर्वमुखी घर कैसा हो :-
पूर्व मुखी घर वह होता है जिसके मुख्य द्वार से बहार निकलते वक्त जब आपको पूर्व दिशा आपके सामने नजर आये | पूर्व दिशा ईशान (उत्तर-पूर्व ) और आग्नेय (दक्षिण-पूर्व )के बिच में स्थित एक अतिशुभ दिशा है |
यह वास्तु कम्पास में ६७.५ डिग्री से ११२.५ के बिच स्थित होती है |
ईशान दिशा जहां सत्व गुणों से युक्त है वही अग्नये दिशा राजस गुणों से युक्त है और ठीक इन दोनों के बिच स्थित पूर्व स्थित पूर्व दिशा में सत्व और रजस गुणों का संतुलन मिलता है |
पूर्व दिशा का स्वामी गृह -सूर्य
पूर्व दिशा का दिक्पाल -इन्द्र
घर की दिशा का पता लगाना :-
घर की दिशा का पता लगाने का सामान्य सा उपाय है |
जिस सड़क से आप घर में प्रवेश करते है अगर वो घर के पूर्व दिशा में स्थित हो तो आपका घर पूर्वमुखी कहलाता है | हलाकि यह तरीका आपके घर की अवस्थिति का अनुमान मात्र ही लगा सकते है बिलकुल सटीक रूप से डिग्री के साथ आपको अपने घर की दिशा ज्ञात करनी पड़गी तो उसके लिए आपको वास्तु कम्पास की सहयता लेनी होगी |
२ पूर्वमुखी घर में मुख्य द्वार का स्थान कहा हो :-
मुख्य द्वार की उचित स्थिति घर के निर्माण के वक्त बेहत सावधानी से निर्धारित की जानी चाईए गौरतलब है की किसी भी भूखंड को ३२ बराबर भागो में पदों में विभाजित किया जाता है हर दिशा (उत्तर,पूर्व ,दक्षिण,पश्चिम )में ८ भाग या पद मौजूत होते है मुख्य द्वार का निर्माण एनी ३२ पदों में से किसी एक में या अधिक पदों में किय जाता है |
इनमे से कुछ पद मुख्य प्रवेश द्वार के निर्माण के लिए शुभ होते है और कुछ अशुभ पूर्व दिशा में स्थित तीसरा व् चौथा पद शुभ होता है जो की इस प्रकार है
E -३ [जयंत ]-६७.५ डिग्री - से ७९ डिग्री तक
E -४ [इन्द्र ]-७९ डिग्री से ९० डिग्री तक
यह स्थित द्वार आपको जीवन में धन से सम्पन करेगा साथ ही आपको यह सफल बनाएगा और सरकार के द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्येक्ष रूप से लाभविन्त करेगा [विशेष कर चौथा पद ]
अगर भूखंड झोटा होने के कारन या किसी अन्य कारणवंश भूखंड की चौड़ाई मुख्य द्वार का निर्माण इन दो पदों के अंडर करने के लिए कम पड़ती है तो यैसे में आप मुख्य द्वार का निर्माण पाचवे पद में स्थित सूर्य [E-५ ]नमक पद में भी कर सकते है |
कुछ मतो के अनुसार मुख्य द्वार का निर्माण के लिए ५वा पद भी अनुकूल मन जाता है हलाकि यह उतना लाभदायक नहीं होता है जितना की ३रा और ४था होता है इसलिए यथासंभव पूर्वमुखी घर के निर्माण के समय मुख्य द्वार ३रे और ४थे पद पर ही निर्मित करना चाहिए
३ पूर्वमुखी घर के लिए वास्तु प्लान :-
पूर्व दिशा को अधिक खुला रखने का लाभ :-
पूर्व दिशा की तरफ आदिक खली स्थान का होना आर्धिक लाभ के साथ ही आध्यादत्मिक रूप से भी लाभदायक होता है साथ ही पूर्व का खुला स्थान पुत्र संतान के लिए लाभकारी होता है |
पूर्वमुखी घर में अंडर ग्राऊंड वाटरटेंक का निर्माण :-
पूर्वमुखी घर में अंडर ग्राऊंड वाटरटेंक का निर्माण करने के लिए पूर्वी ईशान [पूर्व -उत्तर -पूर्व ]को बहुत अच्छा मन जाता है इससे घर में स्थित जल तत्व संतुलित एव बजबूत होता है |
घर की उचित ढलान और स्वास्त्य
घर की ढलान उत्तर,उत्तर -पूर्व दिशा में रखे इस प्रकार का ढलान घर के निवासियों के लिए स्वास्थ्य में लाभकारी होता है अतः इसके महत्व को देखते हुहे इसे नजरअंदाज नहीं करना चाईए घर में इस्तेमाल किये जाने वाला जल अगर पूर्वी दिशा से होकर निकले बहार तो उस घर के पुरुषो के स्वास्थ्य में बहुत अच्छा होता है |
दिशा के अनुसार दीवारों की चौड़ाई व ऊंचाई
दक्षिण वह पश्चिम की अपेक्षा उत्तर वह पूर्व में कम उचाई वह चौड़ाई वाली दीवारे रखे इस प्रकार की व्यवस्था आपके सामाजिक सम्बन्धो और आर्धिक परिस्थितयो पर काफी प्रभाव डालती है विशेष कर यैसे लोग जिनका सम्बंद पब्लिक डीलिंग जैसे व्यवसायो से है इन इस सबंद में विशेष सवदानी रखनी चाहिए | घर के पूर्व दिशा में स्थित दिवार जितनी कम ऊंची हो ुतो घर का मुखिया समाज में और दुनिया में बहुत सम्मान और यश प्रतिष्ठा प्राप्त कर पाता है |
पूर्वमुखी घर में किचन निर्माण के लिए दिशा
पूर्व मुखी घर में किचन का निर्माण करने के लिए आग्नये [दक्षिण-पूर्व ]एक अच्छा स्थान है अगर यह स्थान उपलब्ध नहीं हो तो अग्नि तत्त्व से सम्भदित दिशा दक्षिण-दक्षिण-पूर्व [दक्षिण -आग्नेय ]में नहीं किचन बनाया जा सकता है यह दक्षिण अग्नये १४६ डिग्री से १६९ डिग्री के बिच स्थित दिशा होती है यह पर स्थित किचन व्यक्ति को मानसिक रूप से मजबूत बनता है [नोट :- खाना बनाते समय अपना मुँह पूर्व दिशा अग्नये वाली किचन हो या पश्चिम दिशा वायवे वाली किचन हो तो बहुत शुभ होता है ]
पूजा कक्ष के लिए स्थान :-
परम्परगत मान्यताओं के अनुसार देखा जाय तो ईशान कोण [पूर्व-उत्तर ]में पूजा का स्थान बनाया जा सकता है लेकिन पूर्वी ईशान [५६ डिग्री से ७९ डिग्री ]के बिच बना पूजा कक्ष उससे भी बहुत अच्छा है
बैडरूम बनाने के लिए पूर्वमुखी भूखंड में व्यवस्था :-
मास्टर बैडरूम दक्षिण वह पश्चिम [नृत्यत ]दिशा में बनाया जा सकता है नए मैरिड कपल के लिए उत्तरी वायव्य में बना बैडरूम शुभ होता है |
टायलेट के निर्माण के लिए उचित दिशा :-
दक्षिण नैऋत्य [१९१ डिग्री-२१४ डिग्री के बिच स्थित ] के गुण इस प्रकार के है की वहाँ पर टायलेट बनाया जा सकता है बल्कि देखा जाय तो यह दिशा इस प्रकार के निर्माण के लिए सबसे उपयुक्त दिशा मानी जाती है |
घर के निकट स्थित भूखंड खरीदना :-
उत्तर दिशा में अगर कोई खाली भूखंड हो और उसे खरीदना आपके लिए संभव हो तो कुछ सावधानी के साथ के साथ खरीदा जा सकता है क्युकी उत्तर की तरफ अधिक खुला हुआ भूखंड बेहद सकारात्मक नतीजे प्रदान करता है | हलाकि यैसा करने से पहले किसी वास्तु विशेष्ज्ञ से सलाह ले क्युकी जब आप अपने घर से लगा कोई भूखंड खरीदते है तो आपके घर की वास्तु ग्रीटिंग और मुख्य द्वार की अवस्थिति में वास्तु के नियमो के जरिये कुछ बदलाव आ जाते है | जैसे उत्तरमे भूखंड खरीदने से पहले अगर आपका मुख्य द्वार पूर्व के तीसरे पद पर आ रहा है तो उत्तर का भूखंड खरीदने के बाद वह वास्तु ग्रीटिंग में संभवत थोड़ा उप्पर खिसक के पूर्व के पहले या दूसरे पद में स्थित हो जाता है जो की नकारात्मक परिणाम प्राप्त करता है |
[नोट :-आपके दक्षिण या पश्चिम में स्थित खली जगह में भूखंड है तो यह भूखंड कभी न खरीदना यह नेगटिव एनर्जी प्रदान करता है | ]
पूर्वमुखी घर के लिए अशुभ वास्तु :-
- भूखंड की पूर्व दिशा में घर के मुख्य व् बड़े हिसे का निर्माण करना और दक्षिण व् पश्चिम को खाली झोड़ना वास्तु दोष को जन्म देता है यैसा निर्माण गृह घर यहां के निवासियों को आर्थिक व् सेहत से जुड़ी परेशानिया प्रदान होती रहती है |
- पूर्व दिशा का घर अन्य दिशाओ से उच्चा होना आर्थिक वय की वजह बनेगा और साथ ही घर के मुखिया को कर्ज दार बनाएगा
- इस पवित्र दिशा में टायलेट का निर्माण सेप्टिक टेंक का निर्माण इत्यादि बनाना इस दिशा में शुभता को नस्ट करता है और हानिकारक परिणाम देता है |
- किसी भी अन्य दिशा की तरह पूर्व दिशा का कटना एक बढ़ा वास्तु दोष है इस प्रकार के दोष से बचकर रहना चाहिए सामान्यतया पूर्व दिशा का बढ़ा हुहा होना भी एक वास्तु दोष है
- ऊंचे वह बहुत अधिक बड़े पेड़ पूर्व या उत्तर दिशा में नहीं लगाए ऐसा करने से पूर्व से आने वाली शुभ ऊर्जा पुरी तरह घर को प्राप्त नहीं होती है |
- ईशान कोण की और सीढिया का निर्माण वास्तु दोष निर्माण करता है विशेष रूप से यह घर के निवासियों के मानसिक स्वास्त्य पर नकारात्मक असर करता है |
- ईशान किन में किचन भी निर्माण करना वास्तु दोष के नियम में नहीं है क्युकी ईशान कोण जल तत्त्व की दिशा है और रसोई अग्नि तत्त्व की अतः जल और अग्नि तत्त्व का एक साथ होना विपरीत नतीजे देगा |
- दो बेहद ऊंची इमारतों के बिच बना घर भी बहुत नुकसान दायक होता है | अतः भूखंड खरितते समय इस बात का ध्यान जरूर रखे भविस्य में कोई भूखंड खरितदे हो तो इस बात का ध्यान रखे |
- पूर्वी भाग में कूड़ा कचरा मिटटी के ऊचे टीले हो तो धन और संतान की हानि होने की आशंका होती है इस दिशा को साफ और स्वझ रखे तसबिन जैसी चीज भी नई रखना चाहिए |
पूर्वमुखी घर के फायदे :-
पूर्व दिशा सूर्य की है और सूर्य का सबंध ऐसे व्यवसाय और नवकारियो से होता है जिनमे ताकत और प्रतिष्ठा होती है इसका सबंध राजा से भी होता है यानि वर्तमान में देखा जाय तो सरकार के लिए या सरकार केलए जो काम कर रहा है उसके लिए भी बहुत लाभकारी होता है विशेष रूप से यह सरकारी अधिकारियो के लिए बहुत शुभ होता है | इसके आलावा राजनेताओ के लिए और कलाकारों के लिए भी अच्छी दिशा मणि जाती है अतः वे पूर्वमुखी घर खरीदते है तो इससे वे बहुत लाभविन्त होते है |
निरंतर पूझे जाने वाले सवाल FAQs
क्या पूर्व मुखी घर वास्तु के अनुसार सर्वश्रेष्ठ होते है?
वास्तु के नियम अनुसार केवल वे ही घर सर्वश्रेष्ठ होते है की जो वास्तु के नियमों के अनुरूप बने हो, और फिर चाहे वो पूर्व मुखी हो या दक्षिण मुखी| या पश्चिममुखी हो लेकिन फिर भी कही न कही पूर्व मुखी घर सामान्य रूप से एक अच्छा विकल्प माना जाता है|
पूर्व मुखी मकान में कोनसा कलर होना चाहिए
पूर्वमुखी मकान में हल्का पीला या हल्का हरा रंग का उपयोग करना चाहिए पूर्व दिशा में पिले रंग का इस्तेमाल करना बहुत अच्छा माना जाता है इससे घर में खुसियो का संचार होता है और बहुत लाभदायक होता है
छत पर पानी की टंकी कौन सी दिशा में रखें?
. वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा पानी तत्व के लिए है. इस दिशा में घर का जल स्थान, टंकी या पीने का पानी रखा जाए तो घर में परेशानियां नहीं आएंगी. इसके उलट दिशाओं में यदि पानी रखा जाए तो घर में धन हानि और बीमारियां होती है
निष्कर्ष
हमारी ऊर्जा का सबसे बढ़ा स्त्रोत सूर्य है सूर्य की किरणे पूर्व दिशा से आती है यह दिशा मानव सहित सभी जीवो के लिए जीवनशक्ति प्रदान करती है आद्यात्मिक रूप से भी इस दिशा का विशेष महत्त्व है इसलिए वास्तु सस्त्र में भी इसे पवित्र दिशा का उचित दर्जा दिया गया है पूर्वमुखी घर के अधिक लाभ प्राप्त के लिए इसे वास्तु के नियमो के अनुसार बनाये या किसी वास्तु विशेज्ञ की सलाह या सहयता जरूर ले |