Vastu Tips For House

घर का वास्तु || Vastu Tips For House


वास्तु शास्त्र के अनुसार भूखंड खरीदने से लेकर उसे बनाने तक कई सावधानिया बरतनी पड़ती है और किसी भी भवन में प्राकृतिक तत्त्व का  सही रूप से होना  वास्तु शास्त्र का मूल सिद्धांत है | प्राकृतिक  तत्व जल ,अग्नि ,पृध्वी ,वायु आकाश  जीवन के प्रमुख आधार है और प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने से शरीर में रोगो का  आगमन होता है ठीक उसी प्रकार भवन में भी प्राकर्तिक तत्वों की भूमिका रहती है | निम्नलिखित बाते भवन निर्माण के दौरान आपके लिए शुभ वह अशुभ साबित हो सकते है | तो  इसे विस्तार से जानते है | 
घर का वास्तु || Vastu Tips For House


प्लाट की दिशा :-

उत्तरमुखी और पूर्वमुखी प्लाट बहुत शुभ होते है क्युकी इन पर वास्तु के अनुसार गृह निर्माण करना अन्य दिशाओ की अपेझा अधिक आसान हो जाता है इसका बतलब यह नहीं होता की दक्षिण मुखी और पश्चिम मुखी प्लाट अशुभ होते है | क्युकी वास्तु शास्त्र  की केश स्टडी में यह बहुत देखा गया है की अगर दक्षिण वह पश्चिम मुखी मकानों का निर्माण वास्तु के नियमो के अनुसार किया गया है तो ऐसे मकान आर्थिक सम्पनता प्रदान करने वाले होते  है इसके आलावा भूखंडो की दिशा का चयन व्यक्ति के व्यवसाय व् बिज़नेस के अनुसार करना अधिक उचित होता है 
लेकिन फिर भी दक्षिणमुखी वह पश्चिम मुखी भूखंड ग्रह निर्माण के लिए प्रथम विकल्प नहीं होता है | क्युकी इन पर घर बनाते वक्त वास्तु दोष रह जाने की आशंका अधिक  होती है  | अगर दक्षिण मुखी पश्चिममुखी घर भी वास्तु के अनुसार बनाये तो यह भी अन्य दिशाओ के अनुसार ही शुभ फल प्रदान करते है और लाभदायक होते है  

 प्लाट का आकार 

शुभ 
वर्गाकार प्लाट सबसे शुभ होता है आयताकार प्लाट भी ठीक होता है लम्बाई  चौड़ाई का अनुपात १ :२ से आदिक नहीं होना चाईए प्लाट बहुत झोटा नहीं होना चाईए क्युकी उसे वास्तु के हिसाब से बनाना संभव नहीं होता बाद में  इसलिए प्लाट बढ़ा ही होना चाईए | 

अशुभ  
त्रिभुजाकर ,वृताकार ,त्रिशूलाकार ,कटा हुआ बढ़ा हुआ या झोड़ा प्लाट भूस्वामी और उसके परिवार के लिए  अच्छा नहीं होता है (नोट :-केवल उत्तर-पूर्व दिशा यानि की ईशान का बढ़ा होना काफी शुभ होता है लेकिन अगर कोई भी दिशा बढ़ी हुहि शुभ नहीं होती है | 

प्लाट की ढलान 

शुभ 
उत्तर वह पूर्व दिशा की और प्लाट की ढलान शुभ होती है | भवन निर्मित करवाते समय  जल का बहाव उत्तर व् पूर्व की और ही रखना चाईए यह सवास्थ्य के लिए शुभ होता है और इस प्रकार की ढलान धन लाभ भी कराता है | 
प्लाट की ढलान


अशुभ :-
दक्षिण दिशा या पश्चिम दिशा का ढलान इतना शुभ नहीं माना  जाता है  दक्षिण दिशा में ढलान होना  गृहस्वामी और स्त्रियों के लिए हानिकारक होता है अगर पश्चिम दिशा में ढलान है तो घर के पुरुषो के लिए हानिकारक होता है | 

४ निर्मित स्थान व् खाली स्थान का अनुपात 

शुभ 
किसी भूखंड पर निर्मित भाग  से भी उतना लाभ होता है जितना की उस पर स्थित खाली भूभाग से होता है वास्तु के नियमो के अनुसार किसी प्लाट या  भूभाग पर ६० प्रतिशत या उससे कम भाग पर निर्माण होना चाहिए  गर आपका प्लाट छोटा है और आप खाली जगह नहीं छोड़ सकते तो फिर आपकी कोशिश यह होनी चाहिए जितना हो सके उतना उत्तर व् पूर्व दिशा को खाली छोड़े अगर आपको अधिक निर्माण करना है तो आप ग्राऊंड़फ्लोअर की अपेझा पहली मजिल पर निर्माण करवाए तो ज्यादा अच्छा होगा | 

अशुभ 
उत्तर वह पूर्व में किया गया निर्माण अशुभ होता है क्युकी इस स्थान पर निर्माण करने से जहा आपको अशुभ फल तो मिलते ही है पर  अगर  इस स्थान पर शुभ फल मिलने वाले भी रहे तो उसकी प्राप्ति नहीं होती है | 
इसलिए उत्तर-पूर्व खली छोडना चाहिए अतः दक्षिण-पश्चिम में निर्माण होना चाहिए | 

भूखंड के आसपास का वतावरण 

शुभ 
उत्तर -पूर्व में किसी शुद्ध जलाशय (तालाब ,कुआ ,झील ,नदी इत्यादि की मौजूदगी  शुभ होता है दक्षिण पश्चिम में बड़े टीले ऊंची ईमारत  या अन्य कोई भारी व ऊंची वास्तु का होना शुभ होता है | 

अशुभ 
दक्षिण -पश्चिम दिशा में जलाशय की मौजूदगी किसी प्रकार का गढ्ढा विनाशकारी साबित होता है  भूखंड के  आसपास समशान की अवस्थिति कचरे का ढेर या अन्य कोई नकारात्मक निर्माण अशुभ होता है अगर तीनो साइड से ऊंची इमारतों से घिरा हो तो यह भी अशुभ फल देता है | 

रास्ता या सड़क 

शुभ 
किसी भी दिशा के सामने से निकलने वाली सड़क जो की ठीक घर पर आकर समाप्त  हो रही है  वह उस दिशा के गुण या अवगुण बढ़ा देती |  यह गृहस्वामी को मिलने वाले लाभ में वृद्धि क्र देती है इसके आलावा  एक और विशेष बात का ध्यान रखा जाना चाहिए अगर आपका भूखंड लेने का विचार हो उस स्थान पर सड़क की चौड़ाई  कम से कम ३० फिट होनी चाहिए 

अशुभ 
दक्षिण मुखी या पश्चिम मुखी भूखंड के सामने से निकलने वाली सड़क  अशुभ होती है क्युकी ऐसा होने पर ये उस दिशा के नकारात्मक होता है अतः ऐसा भूखंड लेने से बचे जिसमे दक्षिण या पश्चिम दिशा के सामने से मार्ग प्रहार हो रहा है ३० फिट से कम से कम चौड़ी  रोड पर लेने से बचे तो बेहतर होता है | 

मेन  डोर 

शुभ 
वास्तु में किसी भी भूखंड का विभाजन ३२ बराबर भागो  या पदों में किया जाता है  इन पदों को अलग अलग नाम से जाना जाता है इन्ही ३२ भागो में से ९ भाग ऐसे है जिनमे घर का मुख्य द्वार बनाना बेहद शुभ परिणाम लाता है और वह ९ भाग इस प्रकार है 

उत्तर में मुख्य  भलाड़ और सोम 

पूर्व में जयंता और इंद्रा 

दक्षिण में गृहरक्षीता और वितध 

पश्चिम में सुग्रीव और पुष्पदंत 

अशुभ 
उपरोक्त वर्णित ९ भागो के आलावा शेष बचे अन्य भागो में मुख्य द्वार बनाना नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रविस्ट करता है इनमे भी कुछ द्वार ऐसे है जिनमे किसी भी हालत में मुख्य द्वार नहीं होना चाहिए  जैसे की नेत्रय (दक्षिण-पश्चिम )में स्थित मुख्य द्वार घर के सदस्यों को बहुत गंभीर परिणाम प्रदान करता है | मुख्यद्वार का वास्तु में बहुत महत्व है इसलिए इस द्वार को सही जगह पर बनाने के लिए वास्तु शास्त्र के नियमो का पूर्णत पालन किया जाना अतिआवशयक है | 

मास्टर बैडरूम

मास्टर बैडरूम 

शुभ 
घर के मुखिया का बैडरूम  यानि सयन कक्ष बनाने के लिए नर्तय कोण (दक्षिण -पश्चिम ) व् पश्चिम दिशा बहुत ही सर्वश्रेस्ड और अच्छी होती है  | पृथ्वी तत्व की उपस्थिति के कारन दक्षिण पश्चिम में सोने वाले व्यक्ति में प्रबलता के गन आ जाते है| अतः यह दिशा वास्तु के नियम के अनुसार होने पर आपके रिस्तो और आपकी इस्किल को बेहतर बनाने में कार्य करती है इसके आलावा पश्चिम दिशा में बने बैडरूम में सोने से आपके द्वारा की गए मेहनत का सकारात्मक परिणाम मिलता है और दक्षिण दिशा में बैडरूम बनाया जा सकता है | 

अशुभ 
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा ) में सोना पुरुषो को कमजोर बनता है और महिला के स्वास्त्य पर बुरा असर डालता है इसलिए इसे मास्टर बैडरूम या परिवार के अन्य सदस्य के लिए इस दिशा में बैडरूम नहीं बनाना चाहिए  इसके आलावा पश्चिमी  वाव्यय  पूर्वी अग्नये और दक्षिणी नैरत्य में भी बेडरूम के लिए उपयुक्त स्थान नहीं है | 

किचन 

शुभ 
अग्नये तत्व की उपस्थिति के चलते किचन हमेशा अग्नये कोण में ही बनाना चाहिए | अग्नये कोण में भी अगर आप किचन को दक्षिणी अग्नये में निर्मित करते है तो बहुत ही लाभप्रद होता है और शुभ फल देता है |य आपकी आर्थिक स्थिति को बेहतर करता है और आत्मविश्वाश बढ़ता है अन्यथा किचन के लिए यह  वायव्य दिशा [उत्तर -पश्चिम ] शुभ होती है | 


अशुभ 
ईशान में किचन वास्तु के नियम के अनुसार पूर्णतः वर्जित है  इसके आलावा अन्य दिशा में भी रसोई का निर्माण करना सामन्यतः नकारात्मक प्रभाव प्रदान करता है 

गार्डन 

शुभ 
पूर्व दिशा आवर उत्तर दिशा गार्डन के लिए बहुत शुभ  वह लाभकारी होती है इन दिशाओ को जितना ज्यादा खुला रखा जाय उतना अच्छा होता है एव फादेमंद होता है | 

अशुभ 
दक्षिण दिशा वह पश्चिम में उत्तर वह पूर्व दिशा की अपेछा गार्डन या ज्यादा खुला स्थान नहीं होना चाहिए  इन दिशा में खुला स्थान रखना अगर किसी कारन वंश  जरुरी है तो आप रख सकते है इसके लिए आपको किसी वास्तु विशेष्ज्ञ से ही सलाह लेना चाहिए | ताकि दक्षिण व् पश्चिम के  अतिरिक्त अन्य दिशाओ में भी संतुलन बना रहे 


अंडरग्रॉउंड वाटरटेंक 


शुभ 
ईशान में अंडरवाटरटेंक बनाना ईशान दिशा के गुणों में और वृद्धि कर देता है और घर में स्वास्थ्य व् समृद्धि के लिए लाभदायक है हलाकि अंडरवाटरटेंक के निर्माण के लिए ईशान दिशा में भी सबसे बेहतर विकल्प उत्तरी ईशान वह पूर्वी ईशान होते है इसके आलावा पूर्व दिशा भी इसके लिए उपयुक्त होती है | 

अशुभ 
घर में दो स्थान यैसे होते है  जहा अंडरग्रॉउंड वाटरटेंक या किसी भी प्रकार का जलाशय का होना नुकसानदेह होता है इसमें पहला स्थान है नैरत्य कोण और दूसर स्थान है ब्रम्हस्थान  यैसे भवन में किसी भी हालत में निवेश नहीं करना चहिये जहा पर इन स्थानों में से किसी में भी अंडरग्रॉउंड वाटरटेंक या भूमिगत जलाशय उपस्थित हो 

घर में कौन सी चीज शुभ मानी जाती है?

घर में धातु का हाथी कछुआ धर्म ग्रंथो के अनुसार हाथी और कछुआ बहुत ही शुभ वह पवित्र माना गया है यह सुख समृद्धि ऐश्वर्य का प्रतिक है | घर में बांसुरी रखना माँ लक्ष्मी की फोटो और शंख जरूर रखे लाफिंग बुद्धा भी रखे

घर का कौन सा कोना खाली होना चाहिए?

उत्तर-पूर्व दिशा भगवान कुबेर द्वारा शासित है इसलिए यहां पर जूता रेक टायलेट नहीं रखना चाहिए इस जगह को खली रखे

घर पर कौन सी चीजें नहीं रखनी चाहिए?

टूटी-फूटी वस्तुएं : टूटे-फूटे बर्तन, दर्पण, इलेक्ट्रॉनिक सामान, तस्वीर, फर्नीचर, पलंग, घड़ी, दीपक, झाड़ू, मग, कप आदि कोई सा भी सामान अगर टुटा है तो इसे घर में नहीं रखना चाहिए। तुरंत ही बहार कर देना चाहिए इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है और व्यक्ति मानसिक परेशानियां झेलता रहता और बीमार होते रहता बार बार है।

टायलेट 

शुभ 
टायलेट का निर्माण बहुत ही सावधानी से करना पड़ता है गलत स्थान पर इसका निर्माण हो गया तो यह स्वास्थ्य को बहुत है पहुँचता है  और आर्थिक रूप से हानि भी पहुँचता है  दक्षिण नैरत्य ,पश्चिम वायव  पूर्वी अग्नये टायलेट  लिए  उपयुक्त स्थान होता है 

अशुभ 
ठीक  पश्चिम दिशा [२५९ डिग्री से २८१ डिग्री में टायलेट नहीं  बनाना चाहिए  यहां बने टायलेट के चलते आपके द्वारा निवेश किये गए धन से आपको लाभ नहीं होगा और आर्थिक समस्या का सामना करना पद सकता है और उत्तर दिशा में टायलेट के लिए कोई भी स्थान बेहत नुकशान दायक होता है | 

सीढ़िया

सीढ़िया 

शुभ 
दक्षिण व् पश्चिम दिशा में अंदर की तरफ सीढिया  बनाये जा सकती है और नैरत्य  व् पूर्वी अग्नये में  बहार की ओर सीढिया बनाये जा सकती है | वही वायव्य में अंदर व्  बहार दोनों तरफ सढिया का निर्माण किया जा सकता है सीढिया बनाते वक्त इस बाद का ध्यान रखना आवश्यक है  की वह क्लॉक वइसे है या एंटीक्लॉक वाइज | 

अशुभ 
किसी भी तरह का भार उत्तर पूर्व (ईशान )दिशाओ में दोष ला सकता है  सीढ़ियों का निर्माण भी इस दिशा को भरी कर देता है अतः ईशान में सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए | साथ ही ब्रैंस्टन भी सिडिया बनाने के लिए निषिद है 

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