पश्चिम मुखी घर के लिए वास्तु
घर के निर्माण के लिए उत्तर व पूर्व दिशा के बाद तीसरी उत्तम दिशा पश्चिम को माना जाता है |हलाकि यह बहुत प्रचलित है परन्तु पूर्ण रूप से गलत अवधारणा है की दक्षिण दिशा की तरह ही पश्चिम दिशा भी ग्रह निर्माण के लिए अशुभ दिशा है जो की वास्तविकता से पूर्ण रूप से गलत अवधारणा है| क्युकी कोई भी दिशा घर निर्माण के लिए बहुत अच्छी या बहुत ख़राब नहीं होती है |
यह उस घर के वास्तु पर निर्धारित करता है की वह घर शुभ है या अशुभ | अगर पश्चिम मुखी घर भी वास्तु के नियमो को ध्यान में रखते हुए बनाया जाए तो वह भी शानदार सफलता प्रदान करता है आवर व्यक्ति की तरक्की होती है |
उत्तरमुखी ओर पूर्वमुखी प्लाट भी वास्तु दोष से युक्त घर का निर्माण अशुभ होगा ओर नकारात्मक नतीजे प्रदान करेगा तो वही दक्षिण मुखी या पश्चिम मुखी घर भी अगर वास्तु के हिसाब से बना हो तो वह घर भी बहुत शुभ ओर सकारात्मक नतीजे प्रदान करता है |
लेकिन यह बात भी गौर करने वाली है की उतर ओर पूर्व दिशा के भूखंड पर घर बनाना जितना आसान है उतना दक्षिण मुखी ओर पश्चिम मुखी भूखंड पर घर निर्माण करते समय कुछ सावधानिया बरतनी पड़ती है |
इसलिए इस प्रकार के भूखंड पर वास्तु शास्त्र के नियम के अनुसार घर का निर्माण करना आवश्यक है | इस लेख में आपको पश्चिम मुखी घर के वास्तु के संबंद में विस्तार से जानकारी देंगे | तो आइए जानते है की पश्चिम मुखी घर का वास्तु किस प्रकार होना चाईए |
१ पश्चिम मुखी घर क्या होता है | वास्तु के अनुसार ?
पश्चिम मुखी घर वह होता है जिसके मुख्य द्वार से बहार निकलते वक्त आपको पश्चिम दिशा आपके सामने नजर आये |
पश्चिम दिशा वास्तु कंपास में २४७.५ से २९२.५ के बिच में स्थित होती है | यह दिशा नेऋत्त्य(दक्षिण -पश्चिम )ओर वायव्य (उतर-पश्चिम )के बिच में स्थित होती है |
गौरतलब है की पूर्व दिशा का स्वामी प्रकाश का प्रतिक सूर्य है| तो पश्चिम दिशा का स्वामी अंधकार का प्रतिक शनि गृह है दिन के समय जहा सूर्य शासन करता है तो रात के समय शनि शासन करता है |
घर की दिशा का पता कैसे लगाए ?
घर की दिशा का पता लगाने का सीधा सा तरीका है | जिस सड़क से आप घर में प्रवेश करते है अगर वह सड़क घर के पश्चिम दिशा में स्थित हो तो आपका घर पश्चिममुखी कहलाता है |
हालाकि यह तरीका आपके घर की स्थिति को मोटे तौर पर ही अनुमान लगाया जा सकता है | अगर आपको बिलकुल सटीक रूप से अपने घर की दिशा जानना हो तो कंपास की साहयता लेनी चाईए |
२ मुख्य द्वार का स्थान कहा हो पश्चिममुखी घर में ?
जैसा की आपको पहले भी बताया गया है की मुख्य द्वार का निर्माण वास्तु में बहुत महत्व रखता है ओर पश्चिम दिशा में भी यह अन्य दिशा के समान ही महत्व रखता है |
वास्तु में किसी भी एक दिशा उत्तर ,पूर्व ,पश्चिम ,दक्षिण के अंतर्गत कुल ८ पद होते है | जिन पर मुख्य द्वार बनाया जाता है | इन ८ पदों में से कुछ ही सुबह फल प्रदान करने वाले होते है |
पश्चिम दिशा में विधमान ८ पदों में से २ पद बेहद सुबह फल ओर सकारात्मक होते है तीसरे ओर चौधे स्थान पर स्थित पदों पर बने मुख्य द्वार बहुत सुबह फल देते है | जिन लोगो के घरो का मुख्यद्वार इन दोनों पदों पर स्थित होता है वे लोग समृद्धि ओर सम्पनता हासिल करते है |
इन दोनों पदों को सुग्रीव [w -३ ] व् पुष्पदंत [w -४ ]के नाम से भी जानते है |
अगर किसी कारणवंश भूखंड की चौड़ाई मुख्य द्वार का निर्माण इन दोनों पदों के अंदर करने के लिए जगह कम पड़ती है तो ऐसे में आपको मुख्य द्वार का विस्तार उतर की ओर स्थित पदों में करना चाईए ओर जितना संभव हो नैऋत्त्य कोण (दक्षिण -पश्चिम )की ओर मुख्य द्वार का विस्तार करने से बचे |
३ पश्चिममुखी घर के लिए वास्तु प्लान
पानी की ढलान
जल की निकासी के लिए घर की ढलान पश्चिम से ईशान (उत्तर -पूर्व )की ओर रखे | अगर पानी की निकाशी उत्तर ईशान या पूर्व की ओर रखना संभव नहीं हुआ तो पहले पानी को बहाकर ईशान की ओर ले जाये ओर फिर उतरी दिवार के सहारे पानी को पश्चिमी वायव्य से बहार की ओर निकल देना चईये |
दिशाओ के अनुसार दीवारों की ऊचाई
पश्चिम दिशा की दिवार को पूर्व वह उत्तर की अपेझा ऊंची रखने से यश ओर प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है ओर धन की आवक होती है | इसलिए झा तक हो सके पश्चिम दिशा की दिवार को पूर्व व् उत्तर की अपेझा ऊंचा ही रखे |
दिशाओ के अनुसार दीवारों की चौड़ाई
जिस प्रकार ऊचाई का निर्धारण करते वक्त दिशाओ का ध्यान रखा जाता है ठीक उसी प्रकार चौड़ाई भी सुनिश्चित की जाती है पश्चिम की दीवारों की उचाई व् चौड़ाई पूर्व की तुलना में अधिक होनी चाहिये |
दिशाओ के अनुसार खाली स्थान की व्यवस्था
पश्चिम में अगर खाली जमीन रखना हो तो पूर्व में उससे अधिक झेत्रफल में खाली जमीन की व्यवस्था करे लेकिन यह संभव न हो तो इस बात को ध्यान रखे की पश्चिम में खाली स्थान बहुत अधिक हरा भरा न रखे इससे घर में िस्थित पंच तत्व असंतुलन हो जाते है |
पश्चिम दिशा में बगीचा या गार्डन
जैसा की आपको बताया हु की पश्चिम में बहुत अधिक ग्रीनरी नहीं होनी चाहिए | परन्तु अगर आपके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है | आवर आपको गार्डन लगाना है तो कुछ सावधानिया बरतनी पड़ेगी | जैसे की आप इस दिशा में सफेद ,पिले व् नीले रंग के पौधे लगा सकते है इसके आलावा इस दिशा में बड़े वृक्ष लगा सकते है पर आप कांटेदार वर्ष नहीं लगा सकते इस दिशा में कांटेदार वृक्ष लगाने से बचे |
पश्चिम मुखी घर में किचन का निर्माण
किचन निर्माण के लिए अग्नये कोण व् वायव्य कोण सबसे अच्छी दिशा मानी जाती है| | हलाकि वास्तु विशेज्ञ की सलाह ओर कुछ सतर्कता के साथ इस पश्चिम दिशा में भी किचन बनाया जा सकता है |
पश्चिम दिशा में बच्चो का बैडरूम या अध्यन कक्ष
पश्चिम दिशा सबसे बेहतरीन उपयोग मे से एक है यहा पर बच्चो के लिए बैडरूम या अध्ययन कक्ष का निर्माण करना बहुत शुभ होता है | यह बच्चों के करियर ,उनके द्वारा की जाने वाली मेहनत उचित परिणाम तथा बहुत उत्तम स्थान होता है | अतः पश्चिम में आप निःशंकोज होकर बच्चो के बैडरूम या अध्ययन कक्ष बना सकते है |
पश्चिम मुखी घर में बैडरूम
स्वय पश्चिम दिशा भी बैडरूम निर्माण के लिए शुभ है | हलाकि पश्चिम मुखी घर में ठीक पश्चिम दिशा में ही बैडरूम की जगह निकलना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है | ऐसे में पश्चिम मुखी घर में बैडरूम के निर्माण के लिए नैत्रत्य दिशा [दक्षिण -पश्चिम ]का उपयोग किया जा सकता है इसके आलावा दक्षिण दिशा भी बैडरूम के लिए अच्छी मानी जाती है |
पश्चिम दिशा में डायनिंग रूम
पश्चिम दिशा के जो गुण है उने ध्यान में रखते हुहे यहा पर डायनिंग रूम का निर्माण किया जा सकता है इस दिशा में डायनिंग रूम बनाने के लिए वास्तु की मदद लेनी चाईए |
४ पश्चिममुखी घर के लिए अशुभ वास्तु
१ पश्चिमी भाग अगर पूर्वी भाग या उत्तरी भाग की तुलना में निचा होता है तो उपयश ओर हानि होने की संभावना बढ़ जाती है |
२ पश्चिमी मुखी घर का मुख्य द्वार अगर नैऋत्य की ओर स्थित पदों में औस्थित हो तो यैसा मुख्य द्वार निवासियों को कहि संकट ओर आर्थिक हानि ओर रोगो के जाल में दाल देगा |
४ जल निकाशी अगर पश्चिम से हो तो इससे पुरुष दीर्घ व्याधियोका सीकर होता है |
५ पश्चिम में किसी भी प्रकार का एक्सटेंशन या कट धन हानि करेगा ओर साथ ही स्वास्त्य सबधी परेशानियों का कारन बनेगा |
६ मुख्य द्वार के ठीक सामने किसी भी प्रकार का निर्माण (वृझ ,पिलर इत्यादि )न करे |
७ टी पॉइंट पर स्थित पश्चिमी मुखी भूखंड काफी नकारात्मक परिणाम देता है |
५ पश्चिमी मुखी घर के फायदे क्या है
पश्चिम मुखी घर के अनेक लाभ होते है | विशेष रूप से कुछ लोगो के लिए इस प्रकार की घर की ऊर्जा जीवन में उनती प्रदान करने में बहुत बढ़ी भूमिका निभाती है | प्रत्येक दिशा का सभंद कुछ खाश व्यापारों से होता है अगर कोई व्यक्ति उसी व्यापारों से संबध रखता है और उसी दिशा के घर में वह निवास करता है तो उसको वह घर लाभ प्रधान करता है
यह जिन वयवसहियो या वर्गों के लिए लाभकारी होता है वह इस प्रकार है
- व्यापारी वर्ग
- प्रापर्टी डीलर
- धार्मिक नेता
- टीचर वर्ग
अंत में यह बताना जरुरी है की मात्र एक पश्चिमी मुखी घर में निवास करने से ही आपको सफलता नहीं मिलेगी बल्कि इसके लिए उस घर को वास्तु के हिसाब से निर्मित भी करना होता है |
६ निरंतर पूझे जाने वाले सवाल
मैं किस दिशा में हूं?
उत्तर :-सूर्योदय का सामना करें और आपका मुख पूर्व की ओर हो; उत्तर आपके बाईं ओर होगा और दक्षिण आपके दाईं ओर होगा ।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार किस दिशा में होना चाईए
उत्तर :-वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना बहुत लाभदायक होता है |
क्या पश्चिम मुखी प्लेट्स अच्छे होते है |
उत्तर :-फ्लैट्स में अक्क्सर वास्तु दोष देखने को मिलता है जीने वास्तु विषज्ञ की सहयता से दूर किया जा सकता है आप खुद भी वास्तु के नियमो सावधानी से अध्यन कर वास्तु दोषो को दूर कर सकते है |
क्या पश्चीम मुखी घर अशुभ होता है |
उत्तर :-नहीं पश्चिम मुखी घर अशुभ नहीं होता है |
निष्कर्ष
पश्चिम दिशा में अगर वास्तु के अनुसार निर्माण बना हुहा हो तो उस घर के निवासियों को आर्थिक सपसम्पनता यश वह प्रतिष्ठा प्रदान करता है |
हलाकि दक्षिण दिशा के सामान ही इस दिशा के भूखंड के निर्माण के वक्त थोड़ी सावधानी बरतते हुहे निर्माण करना चईये | इसके लिए आपको वास्तु विशेषज्ञ से शला लेनी चाईए