grah kalesh nivaran upay in hindi

 grah kalesh nivaran upay in hindi

श्राद्ध का अर्थ है पितरो के लिए उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किया गया दान  श्राद्धकर्म में होम पिण्डदान एव तर्पण  आदि सम्मिलित है मृतात्मा की शांति के लिए जिन संस्कारो का विधान है उन्हें श्राद्धकर्म कहते है | मृत्यु के बाद दशरात्र और षोडशी सपिण्डन तक मृत व्यक्ति प्रेत कहलाता है | सपिण्डन के उपरांत वह पितरो में शामिल हो जाते है हमारे पूर्वजो को पितरो को जब मृत्यु के पश्चात भी शांति नहीं मिलती वे इसी लोक में भटकते है तो हमें पितृ दोष लगता है | यदि हम उनके लिए श्राद्ध कर्म काण्ड आदि नहीं करेंगे तो उनको पुण्य लाभ और शान्ति प्राप्त नहीं होगीओ और वह कुपित होकर हमारे सामने भी परेशानिया खड़ी  क्र सकते है अतः आवश्यक है की हमें पितृ दोष से मुक्त होना ही चाहिए | grah kalesh nivaran upay in hindi कुण्डली में गृह दोषो के कारन भी पितृशाप का भागीदार बनना पड़ता है बृहस्पति द्वादशेष हो और द्वादश भाव पर बुध गृह की दृस्टि पड़  रही हो तब बालक को उस कुल में अपने बुजुर्गो द्वारा पितरो का सत्कार न करने से कष्ट प्राप्त होता है कुल पितृ दोष ग्रस्त रहने  पर पूर्वजो  द्वारा पितृ ऋण न चुकाने पर बालक अपंग पैदा होता है यदि राहु की महादशा में सूर्य की अन्तर्दशा तथा चंद्र की प्रत्यत्तर दशा में चल रहे हो तब जातक को पितृ दोष से व्यापक कष्ट उठाना पड़ता है 

grah kalesh nivaran upay in hindi

सूर्य लग्न वाली कुण्डली में लग्नेश बुध दुतिय भाव पर लग्नेश गुरु त्रितय व् षष्ठ भाव पर और शुक्र दसम भाव पर केतु या मंगल से युक्त हो तब जातक को भाग्यशाली होते  हुए भी भाग्यहीन रहना पड़ता है सूर्यस्य व् चंद्रेश द्वादश भाव में साथ साथ युत हो और द्वादशेश लग्न ने स्थित हो तब जातक को ग्रह श्राद्ध करने के बावजूद भी पितृ दोष का सामना करना पड़ेगा पितृ दोष निम्न में से कोई न कोई परेशानी जीवन में बनी रहती है | 

१ सन्तान न होना  

२ वंश न चलना 

३ धन की निरंतर हानि होना  

४ घर में झगड़ा होते रहना | 

५ मानसिक अंशांति बनी रहना | 

६ भूत  प्रेत बाधा का न हटना | 

७ मुकदमे में उलझे रहना 

८ निरन्तर घर में  किसी का बीमार रहना | 

९ दरिद्रता घर में बनी रहना | 

१० कन्या का विवाह न होना | 

अंत श्राद्ध द्वारा पितृदोष को शांत करना चाहिए और जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए यदि आप गृह क्लेश से परेशान है आये दिन घर में किसी न किसी बात को लेकर लड़ाई झगड़ा हो जाता है सदैव अशांति का माहौल बना रहता है तो आपको इस श्राद्ध पक्ष में अवस्य ही इस प्रयोग को  संपन्न करना चाहिए | 

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सामग्री =

जलपात्र घी  का दीपक लघु नारियल अगरबत्ती तथा दूध की बनी मिठाई का भोग आपकी ईक्षा अनुसार | 

माला-  मूंगे की माला 

समय -श्याम  का समय 

आसान -  ऊनि आसन  श्वेत रंग का हो तो श्रेष्ट होता है | 

दिशा - पश्चिम दिशा जप संख्या नित्य ग्यारह सौ मंत्र जप (११ माला )अवधि ११ दिन 

प्रयोग विधि=

श्याम काल के समय स्नान क्र धोती या स्वच्छ वस्त्र पहन कर सामने मिटटी के एक पात्र में रेत  डालकर उसमे गेहू या किसी भी प्रकार का धान बो दे तथा नित्य इसमें थोड़ा थोड़ा पानी डालते रहे जिससे की धन उग जाये सामने सफ़ेद वस्त्र बिझाकर  उस पर चने की दाल की ढेरी बनाकर उस पर लघु नारियल स्थापित कर दे यह लघु नारियल लगभग एक दो इंच के आस पास होता है | बाजार में जो नारयल मिलते है वह नारियल प्रयोग में न ले इसके बाद दीपक व् अगरबत्ती जलाकर निम्न मंत्र का १०८ बार जप करे | 

मंत्र = ॐ श्रीं  सर्व पितृ दोष निवारणाय क्लेश हन हन  सुख- शांति देहि देहि फट स्वाहा | 

नित्य दूध का बना प्रसाद भोग लगावे और नित्य मंत्र का जप के बाद पश्चिम दिशा की तरफ वह भोग फेक दे | 

इस प्रकार ग्यारह दीन तक प्रयोग करे और जिस पात्र में धान बोया  था  उस पात्र में  थोड़ा थोड़ा पानी डालते रहे इस प्रकार जब प्रयोग समाप्त हो जय तब बारवे दिन उस मिटटी के पात्र को किसी नदी या तालाब या पवित्र जल स्थान में विसर्जित कर दे लघु नारियल अपने घर के पूजा स्थान में रख दे इस प्रकार प्रयोग करने में सुख शांति स्थापित हो जाती है गृह क्लेश तनाव व्यापारिक अड़चने जीवन में आ रही नित नई समस्याएं इस प्रयोग को सम्पन्न करने से स्वतः ही समाप्त हो जाती है क्युकी एक तो पितृदोष व् गृहकलेश से मुक्ति मिलती है और साथ ही पितृपक्ष भी प्रसन होकर शुभाशीर्वाद और अन्य लाभ देते है | 



 

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